एलोरा की गुफाओं में बने हैं करीब 1 हजार साल पुराने हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के मंदिर

महाराष्ट्र के औरंगाबाद से 30 कि मी दूरी पर स्थित एलोरा ना सिर्फ एक पुरातात्विक स्थल है, बल्कि ये तीन धर्मों का संगम भी है। विश्व धरोहरों में शामिल एलोरा केवल स्थापत्य और कला की दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, यह अपने निर्माण के समय भारत में प्रचलित विभिन्न आस्थाओं का संगम भी है। यहां कुल 34 गुफाएं हैं। इसमें हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के गुफा मंदिर बने हैं। ये पांचवीं और दसवीं शताब्दी में बने थे। 34 में से 12 बौद्ध, 17 हिंदू गुफाएं और 5 जैन गुफाएं हैं। ये सभी आस-पास बनी हैं और अपने निर्माण काल के धार्मिक सौहार्द को दिखाती हैं। आस्थाओं की त्रिवेणी में मूर्ति शिल्प के रूप में हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म से संबंधित कई महत्वपूर्ण आख्यान दर्शाए गए हैं।

उपदेश मुद्रा में
बुद्ध की प्रतिमा यहां मौजूद बौद्ध गुफाओं की खुदाई पांचवीं और सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व की गई, जब महायान पंथी यहां राज करते थे। इनमें गुफा नंबर 5 सबसे बड़ी है। दसवीं गुफा है चंद्रशाल। इसे विश्वकर्मा गुफा भी कहते हैं। स्तूप के आकार और तीन मंजिलों में बनी इस गुफा के बीच उपदेश मुद्रा में बैठे भगवान बुद्ध की ऊंची प्रतिमा है। इसके पीछे विशाल बोधिवृक्ष भी है। छत के पत्थर इस तरह तराशे गए हैं कि देखने में लकड़ी के बने बीम लगते हैं।

सफेद प्लास्टर से दि खाया है कैलाश पर्वत
हिंदू धर्म संबंधी 17वें से 29वें नंबर तक की गुफाएं छठीं से आठवीं सदी के बीच कलचुरी राजवंश के शासन में बनवाई गईं। इन्हीं में से सोलहवें नंबर की गुफा में कैलाश मंदिर है। बहुत विशाल क्षेत्र में फैली यह गुफा एक ही शिला को काटकर बनाई गई है। हिमाच्छादित कैलाश को दर्शाने के लिए इसकी आंतरिक छत पर सफेद प्लास्टर लगाया गया है। प्रवेशद्वार दक्षिण की गोपुरम शैली से मेल खाता है। अंदर सबसे पहले नंदी के दर्शन होते हैं। पंद्रहवीं गुफा में दशावतार को दर्शाया गया है।

यक्ष की सुंदर प्रतिमा
गुफा संख्या 30 से 34 तक जैन धर्म के दिगंबर समुदाय को समर्पित हैं। इनमें 32वीं गुफा, जिसे इंद्रसभा नाम दिया गया है, दो मंजिलों में बनी स्थापत्य का उत्कृष्ट प्रमाण है। जैन कथाओं में वर्णित यक्ष मतंग की हाथी पर सवार एक अत्यंत सुंदर प्रतिमा है। कुछ पुरातत्वविद मानते हैं कि इसी के कारण लोगों को इंद्र का भ्रम हुआ होगा और इस गुफा को इंद्रसभा नाम दिया गया होगा। इस दो मंजिला गुफा के ऊपरी भाग में सिंहवाहिनी अंबिका यक्षिणी और तीर्थंकर नेमिनाथ हैं।



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Temples of Ellora are built in the temples of Hinduism, Buddhism and Jainism around 1 thousand years old.


Source From
RACHNA SAROVAR
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