प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज फिर बिहार में होंगे। उनकी आज यहां तीन रैलियां होंगी। पहली सारण के छपरा, दूसरी पूर्वी चंपारण और तीसरी समस्तीपुर में है। इन तीन जिलों में आती तो 32 सीटें है, लेकिन मोदी आसपास की भी 25 सीटों को कवर करेंगे। कुल मिलाकर मोदी इन रैलियों के जरिए 57 सीटों तक पहुंचेंगे।
भाजपा से ज्यादा जदयू के उम्मीदवारों का प्रचार करेंगे मोदी
इन तीन रैलियों में मोदी 57 सीटों को कवर करेंगे। इन सीटों पर भाजपा के 27, जदयू के 28 और वीआईपी के 2 कैंडिडेट लड़ रहे हैं।
पहले राष्ट्रवाद और फिर तेजस्वी पर बात
मोदी का बिहार में पहला दौरा 23 अक्टूबर को हुआ था। इस दिन उन्होंने तीन रैलियां की थीं। पहले दौरे में मोदी ने राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाया था। पुलवामा हमले, गलवान घाटी की झड़प, 370 का जिक्र किया। उन्होंने कहा था कि अगर ये लोग सत्ता में आ गए, तो आर्टिकल-370 को फिर से लागू कर देंगे।
दूसरा दौरा 28 अक्टूबर को हुआ। इस दिन भी तीन रैलियां हुईं। मोदी ने राष्ट्रवाद की जगह लालू यादव और तेजस्वी पर निशाना साधा। तेजस्वी को जंगलराज का युवराज तक कह दिया। मोदी ने कहा, ये जंगलराज के युवराज हैं, अगर ये आ गए तो सरकारी नौकरी तो छोड़िए, प्राइवेट कंपनियां भी यहां से भाग जाएंगी।
मोदी की अगला दौरा 3 नवंबर को, इसी दिन वोटिंग भी
मोदी का बिहार में अगला दौरा 3 नवंबर को होगा। इस दिन मोदी की पश्चिमी चंपारण, सहरसा और अररिया के फारबिसगंज में होनी है। इसी दिन 94 सीटों पर वोटिंग भी है। इनमें से 4 सीटें पश्चिमी चंपारण और सहरसा भी है। मोदी ने 2015 के चुनाव में बिहार में 31 रैलियां की थीं। इस बार 12 रैलियां ही कर रहे हैं।
पिछले साल केंद्र सरकार ने संविधान के आर्टिकल 370 और 35A को रद्द किया और जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाया। तब से कश्मीर में अलगाववादियों के साथ-साथ फारुख अब्दुल्ला-महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं की फजीहत हो गई है। अब तक केंद्र से जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले फंड से उन्होंने अपनी जेबें भरी और देश के विरोध में बयान देकर कश्मीरी अवाम को भड़काया। अब भी ये नेता तिरंगे और देश का अपमान करने वाले बयान दे रहे हैं।
पिछले साल केंद्र ने ऐतिहासिक कदम उठाने के बाद कश्मीर के नेताओं को नजरबंद किया। तब तो वे कुछ बोल ही नहीं पाए थे, लेकिन बाहर आते ही आर्टिकल 370 को फिर से लागू करने की लड़ाई को तेज करने का फैसला किया है। गुपकार डिक्लेरेशन को लागू करने पीपुल्स अलायंस बनाया। फारुख अब्दुल्ला अध्यक्ष बने और महबूबा मुफ्ती को उपाध्यक्ष बनाया।
इन नेताओं ने एक बार फिर कश्मीर की जनता को भड़काने की कोशिशें तेज कर दी हैं। फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि चीन की मदद से ही आर्टिकल 370 लागू हो सकता है। कश्मीरी खुद को भारतीय नहीं मानते और भारतीय बनना भी नहीं चाहते। ज्यादातर कश्मीरी चाहते हैं कि चीन आए और शासन करें।
दूसरी ओर, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जब तक जम्मू-कश्मीर का झंडा नहीं मिलता, तब तक तिरंगा नहीं फहराएंगे। ऐसे बयानों से पूरे देश में आक्रोश है। क्या यह बयान राष्ट्रद्रोह नहीं है, क्या उन्हें सजा नहीं मिलनी चाहिए, यह प्रश्न उठ रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर का इतिहास
इन प्रश्नों के जवाब देने से पहले कश्मीर का इतिहास जानना जरूरी है। जम्मू-कश्मीर मुस्लिम बहुल राज्य था, जबकि वहां के राजा हरि सिंह हिंदू थे। आजादी के बाद उन्हें स्वतंत्र रहना था, लेकिन पाकिस्तान ने कबाइलियों की मदद से हमला कर दिया। तब हरि सिंह ने भारत से मदद की याचना की। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सैन्य कार्रवाई की और कबाइलियों को खदेड़ा।
भारत की शर्त थी कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय करना होगा। हरि सिंह राजी हो गए थे, लेकिन शर्त के साथ। शर्त पूरी करने ही आर्टिकल 370 बना था। इसके बाद 70 साल तक केंद्र ने राज्य के विकास में हजारों करोड़ रुपए खर्च किए। सुविधाएं दीं। लेकिन, वहां के नेताओं की भाषा में अपनापन नहीं आया। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और अलगाववादी धड़ों ने हमेशा भारत विरोधी बयान दिए।
फारुख अब्दुल्ला, मेहबूबा मुफ्ती भी पीछे नहीं थे। इन नेताओं ने भारत विरोधी बयान देकर पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते बनाए। शेख अब्दुल्ला ने तो जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भारत में स्वतंत्र गणतंत्र के तौर पर कश्मीर का उल्लेख किया था। कश्मीर के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री कहा जाता था। इन नेताओं के बच्चे विदेशों में पढ़े। केंद्र से आए पैसे पर लग्जरियस जीवन जीया। फिर भी भारत पर टीका-टिप्पणी करना, इनकी आदत हो गई है।
फारुख, मेहबूबा के बिगड़े बोल
पिछले साल हालात बदले और केंद्र ने आर्टिकल 370 व आर्टिकल 35A रद्द कर दिया। केंद्र के फंड से तिजोरी भरने वाले नेताओं की आर्थिक गतिविधियों की जांच शुरू हुई। उन्हें मिलने वाले पैसों के स्रोत पर लगाम कस गई। फारुख अब्दुल्ला और मेहबूबा मुफ्ती नजरबंद हुए।
दूसरी ओर, सेना ने घाटी में कई आतंकियों को मार गिराया। जम्मू-कश्मीर में विकास को गति दी। बरसों से लंबित प्रोजेक्ट पूरे किए। जब यह हो रहा था, तब फारुख अब्दुल्ला, मेहबूबा मुफ्ती जैसे नेता तिरंगे के खिलाफ और चीन के समर्थन की बातें कह रहे थे। कश्मीरियों को भड़का रहे थे।
भारत के कानून को देखें तो प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 के सेक्शन 2 में स्पष्ट है कि तिरंगे पर आपत्तिजनक बयान या तिरंगे का अपमान तीन साल के लिए जेल भेज सकता है। संविधान के आर्टिकल 19 (1A) के मुताबिक तिरंगा फहराना हर भारतीय का मौलिक अधिकार है। कश्मीर में रहने वाली भारतीय जनता को तिरंगे के खिलाफ भड़काना क्या राष्ट्रद्रोह नहीं है?
IPC के सेक्शन 121 से 130 तक की व्याख्या महत्वपूर्ण
भारतीय दंड विधान यानी IPC के सेक्शन 121 से 130 तक में भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने, युद्ध का आह्वान करने और युद्ध के लिए हथियार जुटाने की व्याख्या है। सेक्शन 121 कहता है कि युद्ध छेड़ने का आह्वान, युद्ध का प्रयास या युद्ध के लिए उकसाना गैरकानूनी है। ब्रिटिशर्स ने यह कानून बनाया था, जो आज भी कायम है।
2008 में मुंबई पर आतंकी हमला करने वाले आतंकियों में शामिल अजमल कसाब पर भी हमने यह आरोप लगाए थे। कसाब और उसके साथियों ने होटल और रेलवे स्टेशन पर हमला किया था। सुप्रीम कोर्ट में प्रश्न उठा था कि क्या उन पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप सही है? हमने दलील दी कि कसाब और उसके साथियों ने हमले के लिए जिन जगहों को चुना, उसका उद्देश्य समझना जरूरी है।
रेलवे स्टेशन पर हमला कर वे लोगों में दहशत पैदा करना चाहते थे। होटल पर हमले में विदेशी नागरिकों की हत्या के जरिए भारत में विदेशी निवेश को नुकसान पहुंचाना चाहते थे। मुंबई और फाइव स्टार होटल को निशाना बनाने कारण साफ थे। हमने कहा कि यह एक तरह से युद्ध ही है और बाद में इसी आधार पर कसाब को सजा सुनाई गई।
यह प्रॉक्सी वॉर ही तो है
सेक्शन 124 कहता है कि भारत में कानून द्वारा स्थापित सरकार के विरोध में कोई भी लिखित या मौखिक शब्द, या चित्र या सांकेतिक चित्र, या किसी भी अन्य माध्यम से नफरत फैलाने की कोशिश, या सरकार के खिलाफ असंतोष भड़काने की कोशिश, या असंतोष भड़काएगा तो उसे उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
बदली परिस्थितियों में दोनों सेक्शन का मतलब नए सिरे से निकालना चाहिए। कसाब प्रकरण में हमने सेक्शन 121 की व्याख्या में कहा था- आज युद्ध आमने-सामने नहीं होते। यह प्रॉक्सी वॉर का जमाना है। शत्रु कानून-व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने, अशांति बढ़ाने, असंतोष भड़काने की कोशिश करता है।
अलगाववादी नेताओं ने कश्मीरियों को भारत सरकार के खिलाफ भड़काया है। तिरंगा हमारे देश के सर्वोच्च सम्मान का प्रतीक है। उसका अपमान हो रहा है। यह देश के खिलाफ युद्ध की साजिश रचना, राष्ट्रद्रोह का ही एक प्रकार है। इन नेताओं पर नकेल कसना जरूरी है। इन नेताओं में कानून का डर होना चाहिए। सिर्फ हिरासत में लेने से काम नहीं चलेगा; उन पर मुकदमे चलना चाहिए और कानून के अनुसार सजा देना जरूरी है।
कानून का शासन स्थापित करना जरूरी
केंद्र सरकार ने हाल ही में निर्णय लिया कि जम्मू-कश्मीर में अब कोई भी भारतीय नागरिक जाकर जमीन की खरीद-फरोख्त कर सकेगा, लेकिन खेती की जमीन बाहरी लोग नहीं खरीद सकेंगे। साफ है कि केंद्र ने स्थानीय लोगों की आजीविका की चिंता की है।
कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और वहां का विकास भी आवश्यक है। लेकिन, अब वहां के नेता ऊलजलूल बयान दे रहे हैं। इनका आशय निश्चित ही घातक है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अनियंत्रित और स्वच्छंद नहीं हो सकती। इससे अराजकता ही फैलेगी।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि ईवीएम मशीन में बहुजन समाज पार्टी ( बसपा) के चुनाव चिन्ह हाथी का बटन दबाने पर भी भाजपा के चुनाव चिन्ह के सामने वाली लाइट जल रही है। सोशल मीडिया पर वीडियो बिहार चुनाव का बताया जा रहा है। इसके आधार पर भाजपा पर ईवीएम टेम्परिंग का आरोप लग रहा है।
पड़ताल की शुरुआत में हमने अलग-अलग की-वर्ड के जरिए बिहार चुनाव में ईवीएम की गड़बड़ी से जुड़ी खबरें इंटरनेट पर तलाशनी शुरू कीं।
दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, बिहार की मुंगेर विधानसभा में एक बूथ पर राजद के चुनाव चिन्ह के सामने वोटिंग बटन न होने का मामला सामने आया था। हालांकि, किसी भी मीडिया रिपोर्ट में हमें ऐसा मामला नहीं मिला, जिसमें बसपा का बटन दबाने पर बीजेपी को वोट पड़ने की शिकायत हुई हो।
वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट को गूगल पर रिवर्स सर्च करने पर 16 मई, 2019 के एक फेसबुक पोस्ट में भी हमें यही वीडियो मिला। साफ है कि वीडियो का बिहार विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है।
वीडियो को ध्यान से देखने पर समझ आता है कि वोटिंग का बटन दबा रही महिला बसपा के चिन्ह के बटन पर उंगली जरूर रखे हुए है। लेकिन, अंगूठे से कमल के सामने वाला बटन दबा रही है। साफ है कि ईवीएम टेम्परिंग का झूठ फैलाने के लिए जानबूझकर फेक वीडियो वायरल किया गया।
इतिहास में आज की तारीख बेहद खास है। यह एक तरह से भारत में राज्यों के बनने-बिगड़ने का दिन है। 1956 में पहली बार जब भाषाई आधार पर राज्यों को आकार दिया गया तो आंध्रप्रदेश, केरल, कर्नाटक के साथ-साथ मध्यप्रदेश ने भी इसी दिन आकार लिया था। तभी दिल्ली को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया। वर्ष 2000 में जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश से उत्तराखंड और बिहार से झारखंड को बाहर निकाला तो यह फैसला भी एक नवंबर से ही लागू हुआ।
राज्य तो संतुष्ट है और आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन, दिल्ली तब से उलझी ही रही। खासकर, जब से अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने हैं, तब से वे दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आवाज बुलंद करते रहे हैं। एक-दो बार भूख हड़ताल भी कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट भी जा चुके हैं, लेकिन सिटी स्टेट कहलाने वाले दिल्ली को पूरे राज्य का अधिकार मिलने की संभावना नजर नहीं आती।
दरअसल, दिल्ली को राज्य बनाने की मांग आजादी से भी पहले की है। संविधान बनाने वाली समिति के प्रमुख बाबा साहब भीमराव अंबेडकर भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के खिलाफ थे। उन्होंने चार बातों पर जोर दिया था- दिल्ली भारत की राजधानी होगी, इसके कानून संसद बनाएगी, यहां केंद्र सरकार का शासन होगा, स्थानीय प्रशासन की व्यवस्था हो सकती है, लेकिन वह राष्ट्रपति के अधीन होगी। देश आजाद हुआ तो छोटे-छोटे राज्य बन चुके थे, लेकिन 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट के बाद उनका अस्तित्व खत्म हो गया।
1957 में दिल्ली नगर निगम से शासन चला, 1966 में महानगर परिषद बनी, 1987 में सरकारिया समिति बनी और उसी की रिपोर्ट पर 1993 में दिल्ली को विधानसभा मिली। दरअसल, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है और इस वजह से उसका प्रशासन देश की सरकार के पास ही होना चाहिए, जैसा अमेरिका के वॉशिंगटन में, ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा या कनाडा के ओटावा में है। इस वजह से लगता है कि दिल्ली की लड़ाई जारी रहने वाली है।
दुनियाभर में बमों से जुड़ी यादें भी हैं...
1955 में कोलोरेडो के ऊपर यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 629 में लगेज में रखा बम फटने से 44 लोगों की मौत हुई थी। इसी तरह, 1952 में अमेरिका ने माइक कोडनेम वाला पहला बड़ा हाइड्रोजन बम टेस्ट किया था। 1911 में पहली बार इटली ने एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल कर तुर्की के खिलाफ बम का इस्तेमाल किया।
भारत और विश्व इतिहास में 1 नवंबर की प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं-
1765: ब्रिटेन के उपनिवेशों में स्टैम्प एक्ट लागू किया गया।
1800: जॉन एडम्स व्हाइट हाउस में रहने वाले अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बने।
1903: पनामा की जनता का संघर्ष सफल हुआ और यह देश पूर्ण रुप से स्वतंत्र हो गया।
1923: फिनिश ध्वज वाहक फिनेयर वायुसेवा एयरो ओय में शुरू हो गया।
1946: पश्चिम जर्मनी के राज्य निदरसचसेन का गठन किया गया।
1954ः फ्रांस ने पुडुचेरी, करिकल, माहे और यानोन भारत सरकार को सौंपे।
1956: कर्नाटक, मध्य प्रदेश, केरल, आंध्र प्रदेश राज्य बने।
1956: राजधानी दिल्ली को केन्द्र शासित राज्य बना।
1964ः भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी का जन्म हुआ।
1966: हरियाणा राज्य की स्थापना।
1966: चंडीगढ़ राज्य की स्थापना।
1973ः भारतीय अभिनेत्री एवं पूर्व मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय का जन्म हुआ।
2000: छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ।
देश में कोरोना टेस्टिंग का आंकड़ा 11 करोड़ के करीब पहुंच गया है। हालांकि चिंताजनक बात यह है कि 7 राज्यों में एक्टिव केस घटने के बजाए अब बढ़ने लगे हैं। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर
IPL में आज डबल हेडर मुकाबले। पहला मैच किंग्स इलेवन पंजाब और चेन्नई सुपरकिंग्स के बीच अबु धाबी में दोपहर साढ़े तीन बजे से खेला जाएगा। दूसरा मुकाबला राजस्थान रॉयल्स और कोलकाता नाइटराइडर्स के बीच दुबई में शाम साढ़े सात बजे से होगा।
मुंबई में आज मेनटेनेंस के चलते मध्य रेलवे का मेगा ब्लॉक, हार्बर लाइन पर लोकल ट्रेनें नहीं चलेंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज फिर बिहार में होंगे। उनकी आज यहां तीन रैलियां होंगी। पहली सारण के छपरा, दूसरी पूर्वी चंपारण और तीसरी समस्तीपुर में है।
झारखंड में आज शाम दुमका और बेरमो उपचुनाव का प्रचार खत्म हो जाएगा। 3 नवंबर को दोनों ही जगहों पर वोटिंग होगी।
देश-विदेश
मुनव्वर राणा ने फ्रांस के आतंकी हमलावर का बचाव किया
फ्रांस में हुए आतंकी हमले पर मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने कहा, ‘आप विवाद को जन्म देकर लोगों को उकसा रहे हैं। मोहम्मद साहब का कार्टून बनाकर उसे कत्ल के लिए मजबूर किया गया, अगर उस स्टूडेंट की जगह मैं भी होता तो वही करता जो उस स्टूडेंट ने किया।’
गुजरात में सी-प्लेन सर्विस शुरू, इसका किराया 1500 रुपए
प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को नर्मदा जिले के केवडिया में देश की पहली सी-प्लेन सर्विस की शुरुआत की। यह सर्विस केवडिया से अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट तक शुरू की गई। किराया 1500 रुपए है। सी-प्लेन से 200 किमी का सफर 40 मिनट में पूरा हो जाएगा।
मोदी बोले- पुलवामा हमले से देश दुखी था, कुछ लोग दुख में शामिल नहीं थे
प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को केवडिया में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के पास हुए एकता दिवस के प्रोग्राम में कहा, "देश कभी भूल नहीं सकता कि पुलवामा हमले के बाद जब वीर बेटों के जाने से पूरा देश दुखी था, तब कुछ लोग उस दुख में शामिल नहीं थे। वे पुलवामा हमले में भी अपना राजनीतिक स्वार्थ खोज रहे थे।"
कंगना बोलीं- पटेल ने गांधीजी की खुशी के लिए पीएम का पद ठुकराया
सरदार पटेल के बहाने कंगना रनोट ने पं. जवाहरलाल नेहरू के बारे में बयान दिया है। उन्होंने ट्वीट किया, "पटेल ने गांधीजी की खुशी के लिए भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में सबसे योग्य पद को ठुकरा दिया, क्योंकि गांधीजी को लगता था कि नेहरू बेहतर अंग्रेजी बोलते हैं। पटेल को नुकसान नहीं हुआ, लेकिन देश ने दशकों इसका परिणाम झेला।"
ट्रम्प बोले- कोरोना से हो रही मौतों से डॉक्टरों को फायदा
अमेरिका में कोरोनावायरस के मामले भी रिकॉर्ड तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अब भी बेफिक्र नजर आते हैं। मिशिगन की एक चुनावी रैली में ट्रम्प ने कहा कि कोरोनावायरस से हो रही मौतों से डॉक्टरों को फायदा हो रहा है। उन्होंने यह भरोसा भी जताया कि वे व्हाइट हाउस में ही रहेंगे।
ओरिजिनल
कहानी हरिलाल की, जिनकी जमीन बिहार में, लेकिन घर जम्मू में है
बिहार के सिवान जिले का हरिलाल परिवार सहित 30 साल से जम्मू में हैं। यहां वो ड्राइक्लीन और कपड़े प्रेस करने का काम करते हैं। उनका एक बेटा और दो बेटियां हैं। जो जम्मू में ही पैदा हुईं और पली बढ़ी। अब उनमें से कोई बिहार वापस नहीं जाना चाहता, जबकि उनकी जमीन बिहार में है, लेकिन घर जम्मू में। पढ़ें पूरी खबर...
भारत में सड़कें पैदल चलने के लिए भी सुरक्षित नहीं हैं! 2019 में हर दिन 1,230 एक्सीडेंट और 414 मौतें हुईं। वहीं, जब इस आंकड़े को घंटे के ब्रेक-अप में देखें तो हर घंटे करीब 51 एक्सीडेंट हुए और उनमें 17 लोगों की मौत हुई। दुखद पहलू यह है कि मरने वालों में 57% पैदल चलने वाले, साइकिल चलाने या टू-व्हीलर चलाने वाले थे। पढ़ें पूरी खबर...
अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने कहा, "हम बहुत जल्द अपने कोविड-19 वैक्सीन की टेस्टिंग शुरू करने जा रहे हैं। शुरुआत में इसके डोज 12 से 18 साल के किशोरों को दिए जाएंगे।"
वेस्टइंडीज के क्रिस गेल टी-20 क्रिकेट में 1000 छक्के लगाने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बन गए हैं। उन्होंने IPL पंजाब की ओर से खेलते हुए राजस्थान के खिलाफ यह उपलब्धि हासिल की।
दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4.58 करोड़ से ज्यादा हो गया है। 3 करोड़ 32 लाख 37 हजार 845 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब तक 11.93 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
7 फिल्मों में जेम्स बॉन्ड का रोल निभाने वाले हॉलीवुड फिल्मों के सुपरस्टार शॉन कॉनरी का शनिवार को 90 साल की उम्र में निधन हो गया। वे पहले एक्टर थे, जिन्होंने जेम्स बॉन्ड की भूमिका निभाई।
देश के उत्तरी हिस्से में ठंड ने दस्तक दे दी है। WHO(वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) के मुताबिक भारत में अगले दो महीने सीजनल फ्लू के हैं। इस दौरान मौसम बदलने और ठंड लगने से लोगों को कई तरह की बीमारियों का खतरा होता है। खासकर बच्चे और बुजुर्ग तो इस मौसम में हाई रिस्क कैटेगरी में होते हैं। इस बार लोगों को और ज्यादा अलर्ट रहना होगा, क्योंकि कोरोना अभी गया नहीं है।
अमेरिकी हेल्थ एजेंसी CDC(सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) का कहना है कि ऐसे लोग जिनकी उम्र 65 साल से ज्यादा है और इन्फ्लूएंजा इंफेक्शन या सीरियस फ्लू की चपेट में हैं। इन्हें ठंड में जान जाने का भी खतरा होता है।
फ्लू को लेकर हमारे हर सवाल का एम्स दिल्ली में रुमेटोलॉजी डिपार्टमेंट की HOD डॉक्टर उमा कुमार जवाब दे रही हैं-
क्यों होता है फ्लू?
फ्लू भी वायरस से ही होते हैं। चूंकि ठंड में तापमान कम होता है और लोग बहुत पास-पास रहते हैं, इसलिए जब कोई खांसता या छींकता है तो वायरस तेजी से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। ठंड में सांस से जुड़ी बीमारियां ज्यादा होती हैं।
फ्लू के लक्षण कैसे हैं?
फ्लू में बुखार, गले में खरास, खांसी, सिर में तेज दर्द, शरीर में दर्द होता है। थकान बहुत ज्यादा आती है। जोड़ों में भी दर्द होता है। फ्लू अचानक होता है, इसलिए हमें तुरंत डॉक्टर की सलाह से दवा लेनी चाहिए।
फ्लू कितने दिन तक रहता है?
फ्लू वैसे तो एक हफ्ते के अंदर सही हो जाता है, लेकिन यदि शरीर में और कोई कॉम्प्लीकेशंस हैं तो इसका असर अन्य आर्गन्स पर भी पड़ सकता है। कुछ लोग इससे बचने के लिए नियमित तौर पर फ्लू की वैक्सीन भी लगवाते हैं।
क्या सावधानी रखें?
कोविड-19 की तरह ही ढेर सारे वायरस वातावरण में हैं, जिनसे छोटा-मोटा कफ-कोल्ड होता रहता है और वह ठीक भी हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि ठंडी चीज न खाएं, ताकि गला खराब न हो। यदि गला खराब होता है तो किसी भी इन्फेक्शन के अंदर जाने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए ठंड में गर्म पानी जरूर पीएं, इससे फ्लू से बचे रहेंगे।
कोरोना और फ्लू में कन्फ्यूजन कैसे दूर करें?
कोविड-19 और सीजनल फ्लू के कई सिंप्टम्स एक-दूसरे को ओवरलैप करते हैं। इसलिए दोनों में अंतर करना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है। अभी कोरोना महामारी चल रही है, इसलिए इस बात का डायग्नोसिस में ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है।
विचार- अकेली स्त्री असुरक्षित क्यों है? ये सवाल हमेशा उठता रहा है। क्या दोष समाज का है, क्या न्याय व्यवस्था ढीली है या अपराधियों के हौंसले बुलंद हैं? स्त्री की देह पुरुषों के लिए केवल आकर्षण ही नहीं, अधिकार और अपराध का विषय भी बनता जा रहा है।
कहानी- सीताजी ने जब पंचवटी में सोने का हिरण देखा, तो वो तो इतना जानती थी कि ये तो अद्भुत है और जीवन में इससे पहले हिरण का ऐसा रूप नहीं देखा। हालांकि, वह हिरण नहीं, रावण का मामा मारीच था। जो रावण के कहने पर वेश बदलकर आया था।
सीताजी ने अपने पति श्रीराम से कहा मुझे ये हिरण ला दीजिए। राम ने एक बार समझाया भी, आप मेरे साथ अयोध्या से सबकुछ छोड़कर आई हैं। तो फिर इस स्वर्ण मृग के प्रति आपका आकर्षण क्यों है? लेकिन, सीता कोई तर्क सुनने को तैयार नहीं थीं। स्वर्ण मृग का आकर्षण ही ऐसा था। उन्होंने श्रीराम से कहा कि आप कैसे भी ये मृग मेरे लिए ले आइए।
राम समझ गए कि अपनी पत्नी की इस जिद को पूरा करना ही पड़ेगा और वे दौड़ पड़े। लक्ष्मण को छोड़ गए, सीता की रक्षा के लिए। उधर उन्होंने जब मारीच को तीर मारा तो मारीच ने राम की आवाज में लक्ष्मण को पुकारा। सीता ने लक्ष्मण पर दबाव बनाया कि आप जाकर देखिए आपके भाई संकट में हैं।
न चाहते हुए भी लक्ष्मण चले गए और पीछे से रावण आ गया। रावण ने साधु का वेश बनाया था। सीता से आग्रह किया कि तुम्हें आश्रम की सीमा से बाहर आना पड़ेगा और सीता आई और उनका हरण हो गया।
यहां सीता ने हरण के बाद जो संवाद बोला वह ये था कि यदि रावण तुम साधु के वेश में नहीं होते तो तुम मेरा हरण नहीं कर सकते थे। मैं स्त्री होकर पुरुष के प्रत्येक स्वरूप का मान करती हूं। और तुम पुरुष होकर स्त्री का सम्मान नहीं करते।
सबक- स्त्रियों को अपनी सुरक्षा के लिए केवल बल की जरूरत नहीं है। छल से भी उन्हें सावधान रहना चाहिए। स्त्रियां घर में हों या बाहर, अतिरिक्त सावधानी रखिए। ऐसी अतिरिक्त सावधानी पुरुषों को रखने की जरूरत पड़ती, लेकिन स्त्री देह का गठन ऐसा है, अगर इसमें सावधानी नहीं रखी गई तो रावण जैसे अपराधी को अवसर मिल जाता है।