सुंदरकांड की सीख, जब तक काम पूरा न हो, हमें विश्राम नहीं करना चाहिए, समय कम हो तो बुद्धि का उपयोग करते हुए बाधाएं दूर करनी चाहिए

काम सभी करते हैं, लेकिन सफलता कुछ ही लोगों को मिल पाती है। जब लक्ष्य मुश्किल हो तो हमें काम पूरा होने तक विश्राम नहीं करना चाहिए। साथ ही, जो बाधाएं बुद्धि से तुरंत हल हो सकती हैं, उनमें ज्यादा समय खर्च नहीं करना चाहिए। ये बात श्रीरामचरित मानस के सुंदरकांड में हनुमानजी बताई है। जानिए सुंदरकांड की सीख, जो हमारी समस्याओं को दूर कर सकती है...

श्रीरामचरित मानस का पांचवां अध्याय सुंदरकांड है। इस अध्याय में हनुमानजी को सीता की खोज में लंका कैसे पहुंचे, ये बताया गया है। जांबवंत की प्रेरणा से हनुमान को अपनी शक्तियां याद आ गईं। इसके बाद वे हनुमानजी उड़ते हुए समुद्र पार करने के लिए आगे बढ़ते हैं।

जब तक लक्ष्य हासिल न हो जाए आराम न करें

जब हनुमानजी समुद्र पार कर रहे थे तब रास्ते में मैनाक पर्वत आया। मैनाक पर्वत ने हनुमानजी से कहा कि लंका जा रहे हैं, थक गए होंगे, कुछ देर मुझ पर विश्राम कर लें।

हनुमानजी ने मैनाक पर्वत को हाथ से छू लिया और कहा कि जब तक मैं श्रीराम का काम पूरा नहीं कर लेता मुझे आराम नहीं करना है।

सीख- यहां हनुमानजी ने पर्वत को छूकर उसका मान रखा और समय गंवाए बिना आगे बढ़ गए। इस प्रसंग की सीख यह है कि जब तक हम लक्ष्य हासिल न कर लें, तब तक सुख-सुविधा में उलझना नहीं चाहिए। लगातार आगे बढ़ते रहना चाहिए। तभी कोई बड़ा काम पूरा हो सकता है।

अगर कोई बाधा बुद्धि से तुरंत दूर हो सकती है तो वाद-विवाद में व्यर्थ समय खर्च न करें

मैनाक पर्वत के बाद हनुमानजी का सामना हुआ सुरसा से। सुरसा एक राक्षसी थी। वह अपना आकार छोटा-बड़ा कर सकती थी। उसने हनुमानजी का रास्ता रोक लिया और कहा कि आज तू मेरा आहार है। तब हनुमानजी ने सुरसा से कहा कि माता अभी मैं श्रीराम का काम करने जा रहा हूं, कृपया मेरा रास्ता न रोकें। श्रीराम का काम पूरा होने के बाद मैं स्वयं तुम्हारे पास आ जाऊंगा तब तुम मुझे खा लेना।

हनुमानजी के समझाने के बाद भी सुरसा नहीं मानी। तब हनुमानजी ने कहा कि माता तू मुझे खा नहीं सकती है। ये कहकर हनुमानजी ने अपना आकार बड़ा कर लिया। सुरसा ने भी हनुमानजी से बड़ा मुंह खोल लिया। इसके बाद हनुमानजी तुरंत ही छोटे स्वरूप में आ गए और सुरसा के मुंह में प्रवेश करके बाहर आ गए। हनुमानजी की बुद्धि से सुरसा प्रसन्न हो गई और उसने रास्ता छोड़ दिया।

सीख- इस प्रसंग की सीख यह है कि जहां बुद्धि से कोई समस्या तुरंत हल हो सकती है, वहां वाद-विवाद नहीं कर चाहिए। बुद्धि का उपयोग करते हुए बाधा दूर करनी चाहिए।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Learning of the Sundarkand, moral of sundarkand, ramcharit manas story, sundarkand story, life management tips according to sundrakand


Source From
RACHNA SAROVAR
CLICK HERE TO JOIN TELEGRAM FOR LATEST NEWS

Post a Comment

[blogger]

MKRdezign

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget