चीन की कम्पनी के हाथ से फिसला कानपुर-आगरा मेट्रो प्रॉजेक्ट, बिड प्रक्रिया में सबसे कम बोली लगाने वाली कनाडा की कम्पनी को मिला ठेका

उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूपीएमआरसी) ने तकनीकी खामियों के चलते कानपुर,आगरा मेट्रो का कामचीनी कंपनी के हाथ से फिसल गया है। कार्पोरेशन के अनुसार कानपुर और आगरा मेट्रो परियोजनाओं के लिएमेट्रो ट्रेनों (रोलिंग स्टॉक्स) की आपूर्ति, परीक्षण और चालू करने के साथ-साथ ट्रेन कंट्रोल और सिग्नलिंग सिस्टम का ठेका बॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दिया है। इसी कम्पनी ने बिड प्रक्रिया में सबसे कम बोली लगाई थी।

कानपुर और आगरा मेट्रो के लिए मेट्रो ट्रेनों का टेंडर बॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्ट को मिलाकनाडा की कंपनी है।कानपुर और आगरा दोनों ही मेट्रो परियोजनाओं हेतु कुल 67 ट्रेनों की सप्लाई होगी, जिनमें से प्रत्येक ट्रेन में 3 कार या कोच होंगे, जिनमें से 39 ट्रेनें कानपुर और 28 ट्रेनें आगरा के लिए होंगी। एक ट्रेन की यात्री क्षमता लगभग 980 होगी यानी प्रत्येक कोच में लगभग 315-350 यात्री यात्रा कर सकेंगे।

चीन की कंपनी सीआरआरसी ने भी भरा था टेंडर

चीन की कंपनी सीआरआरसी नैनजिंग पुजहेन लिमिटेड ने भी टेंडर भरा था लेकिन बिड में कम बोली लगाने वालीबॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को यह ठेका मिल गया। यह एक भारतीय कंसोर्टियम (कंपनियों का समूह) है। कानपुर और आगरा दोनों ही मेट्रो परियोजनाओं हेतु कुल 67 ट्रेनों की सप्लाई होगी, जिनमें से प्रत्येक ट्रेन में 3 कोच होंगे, जिनमें से 39 ट्रेनें कानपुर और 28 ट्रेनें आगरा के लिए होंगी।

यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने बताया-रोलिंग स्टॉक्स और सिग्नलिंग सिस्टम के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मक बोलियां आमंत्रित की गई थीं, जिसके तहत 4 अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया और 18 फरवरी, 2020 को अपनी निविदाएं यूपीएमआरसी को सौंपी थीं। वित्तीय बोलीके लिएतीन कम्पनियोंको चुना गया औरसबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी में बॉम्बार्डियर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को शनिवार कोठेका दे दिया गया।

लखनऊ की तर्ज पर हुई बिडिंग प्रक्रिया

यूपीएमआरसी ने लखनऊ की ही तर्ज़ पर कानपुर और आगरा में भी रोलिंग स्टॉक्स और सिग्नलिंग सिस्टम के लिए एकीकृत टेंडरिंग की प्रक्रिया अपनाई। देश में पहली बार लखनऊ मेट्रो परियोजना के लिए यह प्रयोग किया गया था, जो बेहद सफ़ल रहा और जिसके लिए यूपीएमआरसी को बहुत सराहना और प्रशस्ति भी मिली। एकीकृत टेंडरिंग की बदौलत समय की बचत हुई और लखनऊ मेट्रो को 64 हफ़्तों के रेकॉर्ड समय में पहला रोलिंग स्टॉक (मेट्रो ट्रेन) मिला। कानपुर और आगरा में पहले मेट्रो ट्रेन सेट की सप्लाई के लिए 65 हफ़्तों की समय-सीमा तय की गई है।

यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने इस संबंध में कहा, “कानपुर और आगरा के लिए प्रस्तावित मास रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम की ख़ास बात यह है कि दोनों ही जगहों पर दो स्टेशनों के बीच की दूरी काफ़ी कम (लगभग 1 किमी.) है। साथ ही, यहां पर जो मेट्रो ट्रेनें चलेंगी उनकी गतिसीमा 80 किमी./घंटा निर्धारित की गई है, जबकि मेट्रो ट्रेनों की अधिकतकम क्षमता 90 किमी./घंटा होगी। इसके अलावा, ट्रेनों के ऑपरेशन कंट्रोल के लिए लखनऊ की ही तर्ज़ पर कानपुर और आगरा में भी सीबीटीसी यानी कम्युनिकेशन आधारित ट्रेन कंट्रोल सिस्टम और कॉन्टीन्युअस ऑटोमैटिक ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (सीएटीएस) होगा।”

लॉकडाउन के बाद कानपुर में एकबार फिर से पूरे ज़ोर के साथ सिविल निर्माण कार्य शुरू करने के बाद, रोलिंग स्टॉक और सिग्नलिंग सिस्टम के टेंडरिंग की प्रक्रिया का पूरा होना एक बड़ी उपलब्धि है। इससे न सिर्फ़ अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलेगी बल्कि कानपुर और आगरा की जनता का मेट्रो सेवाओं का सपना भी अब जल्द ही पूरा होगा।



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कानपुर और आगरा में मेट्रो प्रोजेक्ट का टेंडर जारी हो गया है। यह टेंडर कनाडा की एक कम्पनी को मिला है।


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