मार्केट रेगुलेटर सेबी ने इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। इसके लिए सेबी इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स रेगुलेशंस-2013 में संशोधन किया गया है। इन बदलावों के तहत एक व्यक्तिगत इन्वेस्टमेंट एडवाइजर निवेश सलाह और वितरण सेवाओं में से एक ही काम कर पाएगा। सेबी का कहना है कि हितों के टकराव को रोकने के लिए यह बदलाव किया गया है।
कंपनी स्तर पर नहीं पड़ेगा असर
सेबी की ओर से जारी बयान के मुताबिक, कंपनी स्तर पर निवेश सलाह और वितरण देने वाली इकाइयां पहले की तरह काम करती रहेंगी। बदलाव के मुताबिक, सलाहकार गतिविधियों में बेहतर पारदर्शिता के लिए इन्वेस्टमेंट एडवाइजर और ग्राहक के बीच समझौता होना अनिवार्य है।
अन्य बदलाव
- व्यक्तिगत तौर पर किसी को भी एक इन्वेस्टमेंट एडवाइजर के तौर पर रजिस्टर्ड होने और वितरक के तौर पर वितरण सेवाएं देने का विकल्प होगा।
- इन्वेस्टमेंट एडवाइजर के तौर पर रजिस्ट्रेशन के लिए संबंधित विषय में पोस्ट ग्रेजुएट या प्रोफेशनल डिप्लोमा के साथ पांच साल का अनुभव जरूरी होना चाहिए। मौजूदा इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स पर भी यह नियम लागू होगा।
- जिन व्यक्तिगत इन्वेस्टमेंट एडवाइजर के पास 150 से ज्यादा ग्राहक होंगे, उन्हें सेबी के पास गैर-व्यक्तिगत इन्वेस्टमेंट एडवाइजर के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा।
- निवेश सलाह देने के लिए ली जाने वाली फीस रेगुलेटर की ओर से बाद में तय की जाएगी।
रजिस्ट्रेशन के लिए नेटवर्थ की सीमा भी बढ़ी
सेबी ने इन्वेस्टमेंट एडवाइजर के रजिस्ट्रेशन के लिए नेटवर्थ की सीमा में भी बढ़ोतरी कर दी है। गैर-व्यक्तिगत यानी कंपनी स्तर पर निवेश परामर्शदाता के रूप में पंजीकरण के लिए नेटवर्थ आवश्यकता को 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपए किया गया है। व्यक्तिगत स्तर पर नेटवर्थ की सीमा को 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया गया है।
कब से लागू होंगे नए बदलाव?
यह नए बदलाव ऑफिशियल बजट में नोटिफिकेशन प्रकाशित होने के 90 दिन बाद से लागू होंगे।
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