मिट्टी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया से 100% नेचुरल हेयर कलर बनाया, इससे कोई साइड इफेक्ट भी नहीं

उम्र से पहले बाल सफेद होना एक आम समस्या है। जब इन्हें डाई किया जाता है, तो केमिकल के कारण बालों का गिरना, झड़ना और बचे बालों का भी समय से पहले सफेद होना शुरू हो जाता है। ऐसे में इससे परेशान लोगों ने लिए पंजाब यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने 100% नेचुरल हेयर कलर तैयार किया है।

बैक्टीरिया को आइसोलेट करके तैयार किया
खास बात यह है कि इसे मिट्‌टी में पाए जाने वाले एक बैक्टीरिया से तैयार किया गया है, इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं दिखा है। यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया को आइसोलेट करके कलर तैयार किया है। लगभग सात साल से इस पर काम चल रहा था और अब PU ने पेटेंट फाइल किया है।

डाई में होता है केमिकल का उपयोग
‘केमिकल फ्री यूजर फ्रेंडली हेयर डाइंग फार्मूलेशन’ के इनवेंटर हैं प्रोफेसर नवीन गुप्ता। इनके साथ उनके छात्र डॉ. दीपक कुमार, राहुल वरमूटा और को-इनवेंटर प्रो. प्रिंस शर्मा हैं। उन्होंने बताया कि जब हेयर डाई करते हैं, तो एक कलर होता है और एक डेवलपर। दोनों में ही केमिकल का उपयोग होता है। डेवलपर में हाइड्रोजन परॉक्साइड का उपयोग होता है और बालों में कलर को रखने के लिए अमोनिया का इस्तेमाल किया जाता है।

सैलून से बाल लेकर रिसर्च किया
अमोनिया का हल तो बाजार में है, लेकिन बाकी चीजों का अभी तक नहीं है। इस बीच उन्होंने एक बैक्टीरिया पर रिसर्च पढ़ी कि वह एल्कालाइन है। धीरे-धीरे इस एरिया में रिसर्च शुरू की, तो पता चला कि इससे बने कलर में हाइड्रोजन परॉक्साइड डालने की जरूरत नहीं रहेगी। सैलून से बाल लेकर उन्होंने इसे लैब में ट्राई किया। लैब के स्तर पर ये 15-20 शैंपू तक बना रहता है जबकि आम माहौल में भी इसके 10 शैंपू तक बने रहने की संभावना है।

रिसर्चर ने इससे पहले किया पानी पर बड़ा काम
नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क की रैकिंग में आईआईटी के बाद टॉप यूनिवर्सिटी में पंजाब यूनिवर्सिटी का नाम आता है। इस तरह की रैकिंग में सबसे ज्यादा अंक रिसर्च के ही मिलते हैं। एक अन्य प्राइवेट वर्ल्ड एजुकेशन रैंकिंग 2021 के मुताबिक, PU देश में चौथे नंबर पर है। रिसर्चर डॉ. गुप्ता सुखना लेक में नदीन और टर्शरी वाटर के इस्तेमाल के बाद पानी में आनी वाली बदबू समेत चंड़ीगढ़ की कई समस्याओं का हल निकाल चुके हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
रिसर्चर डॉ. नवीन गुप्ता ने बताया कि जब हेयर डाई करते हैं, तो एक कलर होता है और एक डेवलपर। दोनों में ही केमिकल का उपयोग होता है।


Source From
RACHNA SAROVAR
CLICK HERE TO JOIN TELEGRAM FOR LATEST NEWS

Post a Comment

[blogger]

MKRdezign

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget