अभी अगहन यानी मार्गशीर्ष मास चल रहा है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में मार्गशीर्ष मास को स्वयं का स्वरूप बताया है। इस माह में बाल गोपाल को माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार अगहन मास में नदी में स्नान करने का काफी अधिक महत्व है।
मान्यता है कि द्वापर युग में जब गोपियों ने श्रीहरि को प्राप्त करने के लिए तप किया, तब श्रीकृष्ण ने अगहन महीने में नदी स्नान करने की सलाह दी थी। इसी वजह से अगहन मास में यमुना नदी में काफी लोग स्नान करने पहुंचते हैं।
अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो तुलसी की जड़ की मिट्टी को शरीर पर लगाकर भी स्नान कर सकते हैं। स्नान के समय सभी तीर्थों का ध्यान करें। पवित्र नदियों के नामों का जाप करते हुए स्नान करना चाहिए।
स्नान के बाद सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। गुड़ का दान जरूरतमंद लोगों को करें।
बालगोपाल की पूजा में कृं कृष्णाय नम: और भगवान विष्णु की पूजा में ऊँ नमो नारायणाय का जाप करें। शिवजी की पूजा में ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। गणेशजी की पूजा अवश्य करें।
मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास में नियमित रूप से नदी स्नान करने वाले श्रद्धालु को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। स्त्रियां नदी में स्नान करती हैं तो उनका वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।
मार्गशीर्ष यानी अगहन माह में शंख की पूजा का भी विशेष महत्व है। जिस प्रकार देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, ठीक उसी तरह शंख का भी पूजा करें।
इस माह में आलस्य छोड़ देना चाहिए। सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद पूजा-पाठ करें। रोज सुबह ध्यान करने से मन को शांति मिलती है, एकाग्रता बढ़ती है। दिनभर के कामों में ऊर्जा बनी रहती है और सफलता मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
क्रोध से बचना चाहिए। घर में क्लेश न करें। अन्यथा इस माह में किए गए शुभ कामों का पूरा फल नहीं मिल पाता है। माह में अन्न और धन का दान करें।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Source From
RACHNA SAROVAR
CLICK HERE TO JOIN TELEGRAM FOR LATEST NEWS
Post a Comment