माता-पिता का रोज आशीर्वाद लें, वे भगवान की तरह पूजनीय, हमारी वजह से उन्हें दुःख पहुंचे तो यह पाप है

कहानी- महाभारत में श्रीकृष्ण और बलराम को कंस ने गोकुल से मथुरा बुलवाया था। कंस उनकी हत्या करवाना चाहता था। उस समय कंस ने एक रंगशाला बनाई थी। वहां हाथियों को शराब पिलाकर श्रीकृष्ण-बलराम की ओर छोड़ दिया गया था। दोनों ने मिलकर सभी हाथियों को मार दिया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने कंस का भी वध कर दिया। मथुरा के लोगों ने उन्हें गोद में उठा लिया और उनकी जय-जयकार कर रहे थे। सभी का कहना था कि अब कृष्ण को ही मथुरा का राजा बनना चाहिए।

श्रीकृष्ण ने कहा, 'इस समय हमें नीचे उतारिए। मैं और दाऊ, सबसे पहले कारागार जाएंगे, जहां हमारे माता-पिता देवकी और वासुदेव को कैद करके रखा गया हैं। उन्हें मुक्त कराना है।' दोनों भाई दौड़ते हुए कारागार पहुंचे। जब देवकी-वासुदेव ने इन दोनों को देखा, तो वे समझ गए कि हमारे बच्चे आ गए हैं।

उस समय श्रीकृष्ण ने हाथ जोड़कर माता-पिता से कहा, '11 वर्ष हो गए हैं। जन्म के समय ही मुझे गोकुल छोड़ दिया गया। इन 11 वर्षों में कंस ने आपको बहुत यातनाएं दी हैं। वह मारना मुझे चाहता था, लेकिन तकलीफ आपको दी। मेरी नजर में सबसे बड़ा पाप वह है, जब किसी संतान के कारण उसके माता-पिता को दुःखों का सामना करना पड़ता है। संतान का कर्तव्य है कि वह माता-पिता को सुख दे और उनकी सेवा करे। हम इसीलिए सबसे पहले आपके पास आए हैं, अब आप जैसा निर्णय लेंगे, उसका पालन किया जाएगा।'

सीख- कभी भी ऐसा कोई काम न करें, जिसकी वजह से माता-पिता को कष्ट हो। हर काम उनकी आज्ञा लेकर करें। रोज उन्हें प्रणाम करें और उनके आशीर्वाद के साथ दिन की शुरुआत करें। तभी भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है।



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Source From
RACHNA SAROVAR
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