जीवनसाथी की सलाह परेशानियों से बचा सकती है, रावण ने नहीं मानी मंदोदरी की बात और नष्ट हो गया उसका वंश

इस बार पंचांग भेद होने की वजह से 25 और 26 अक्टूबर को विजयादशमी तिथि रहेगी। ऐसी स्थिति में अपने क्षेत्र के पंचांग और विद्वानों के मत के अनुसार दशहरा मनाना श्रेष्ठ रहेगा। त्रेतायुग में इसी तिथि पर श्रीराम के हाथ रावण का वध हुआ था। रावण बुराइयों का प्रतीक है। रावण को मंदोदरी ने भी समझाने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन रावण ने जीवनसाथी की सलाह भी नहीं मानी। नतीजा ये हुआ कि उसका पूरा वंश ही नष्ट हो गया।

श्रीरामचरित मानस के अनुसार जब श्रीराम अपनी वानर सेना के साथ समुद्र पार कर लंका पहुंच गए थे, तब मंदोदरी समझ गई थी कि लंकापति रावण की हार तय है। इस वजह से मंदोदरी ने रावण को समझाने का बहुत प्रयास किया कि वे श्रीराम से युद्ध ना करें। सीता को लौटा दें। श्रीराम स्वयं भगवान का अवतार हैं।

मंदोदरी ने कई बार रावण को समझाने का प्रयास किया कि श्रीराम से युद्ध करने पर हमारे वंश का कल्याण नहीं होगा, लेकिन रावण नहीं माना। श्रीराम के साथ युद्ध किया और अपने सभी पुत्रों और भाई कुंभकर्ण के साथ ही स्वयं भी मृत्यु को प्राप्त हुआ।

पति-पत्नी को एक-दूसरे की सलाह माननी चाहिए

वैवाहिक जीवन में ये महत्वपूर्ण है कि पति-पत्नी दोनों एक-दूसरे को गलत काम करने से रोके। गलत काम का नतीजा पति और पत्नि दोनों को ही भुगतना पड़ता है। सही-गलत को समझते हुए एक-दूसरे को सही सलाह देनी चाहिए। साथ ही, दोनों को ही एक-दूसरे की सही सलाह माननी भी चाहिए। पति-पत्नी ही एक-दूसरे के लिए सबसे अच्छे सलाहकार होते हैं। यही सुखी जीवन का सूत्र है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
family management tips from ramayana, ravana and mandodari, prerak prasang, ravana and shriram


Source From
RACHNA SAROVAR
CLICK HERE TO JOIN TELEGRAM FOR LATEST NEWS

Post a Comment

[blogger]

MKRdezign

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget