अगर क्षमा है तो किसी कवच की जरूरत नहीं, क्रोध है तो दूसरे शत्रुओं की और विद्या है तो धन संचय करने की जरूरत नहीं

राजा भर्तृहरि उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य के भाई थे। विक्रमादित्य के नाम से ही विक्रम संवत चल रहा है। इस बार विक्रम संवत् 2077 चल रहा है। यानी विक्रमादित्य का इतिहास 2077 साल से भी ज्यादा पुराना है। विक्रमादित्य से पहले भर्तृहरि ही राजा थे। माना जाता है कि भर्तृहरि की पत्नी पिंगला ने उन्हें धोखा दिया था। इस वजह से उन्होंने राजपाठ छोड़ दिया और विक्रमादित्य को राजा नियुक्त कर दिया था और खुद ने संन्यास ले लिया था।

राजा भर्तृहरि ने नीति शतकम्, वैराग्य शतकम्, श्रृंगारशतक नाम के ग्रंथों की रचना की थी। नीति शतकम् में सुखी और सफल जीवन के सूत्र बताए गए हैं। जानिए नीति शतक की कुछ खास नीतियां, जिनका ध्यान रखने पर हमारी कई समस्याएं खत्म हो सकती हैं...



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RACHNA SAROVAR
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