वास्तुशास्त्र कहता है किसी घर में सुख-समृद्धि और दुख की एक वजह मेन गेट भी होता है। ज्योतिष ग्रंथ बृहत्संहिता, मत्स्य पुराण और महाभारत में घर के मुख्य दरवाजे से जुड़ी जरूरी बातें बताई गई हैं। आचार्य वराहमिहिर ने अपने ग्रंथ में कहा है कि घर का मुख्य द्वार यानी मेनगेट लकड़ी से बना होना चाहिए। जो न तो ज्यादा बड़ा हो न ही छोटा होना चाहिए। एक आदर्श साइज में घर का मेन गेट होना चाहिए। जो कि दो पल्ले से बना होना चाहिए। वराहमिहिर ने घर के दरवाजों के बारे में ये भी कहा है कि अपने आप खुलने और बंद होने वाले दरवाजे उस घर में दोष पैदा करते हैं। इसलिए दोष से बचने के लिए वास्तु के अनुसार मेन गेट से जुड़ी कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक मेन गेट से जुड़ी जरूरी बातें
- वास्तु के अनुसार, घर के मेन गेट के लिए लकड़ी का दरवाजा सबसे शुभ माना गया है। मेन गेट बनवाते समय ध्यान रखें कि धातु का जितना कम इस्तेमाल हो, उतना अच्छा होगा।
- मेन गेट का आकार आयताकार रखना शुभ माना जाता है। इससे उस घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
- कुछ घरों में कम जगह की वजह से दरवाजा बाहर की ओर खोल दिया जाता है लेकिन वास्तु के अनुसार यह अशुभ है। इससे घर में रोग और खर्च बढ़ते हैं।
- घर का मेन गेट हमेशा अंदर की ओर खुलना चाहिए, इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।
- घर का मेन गेट हमेशा साफ रखना चाहिए। मुख्य द्वार पर रात में भी पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। ऐसा करने पर घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
- अगर संभव हो तो प्रवेश द्वार पर लकड़ी की थोड़ी ऊंची देहली जरूर बनवाएं। बिना देहली वाले मकान में वास्तुदोष बढ़ता है।
- मेन गेट को खोलते समय किसी भी तरह की आवाज नहीं आनी चाहिए और ना ही गेट कहीं से रगड़ाना चाहिए। ऐसा दरवाजा घर का दोष बढ़ाता है।
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Source From
RACHNA SAROVAR
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