तारीख थी 30 अप्रैल 2003। बिहार के खगौल शहर में भाजपा नेता सत्यनारायण सिन्हा की दिनदहाड़े हत्या हो गई। वो कार से कहीं जा रहे थे, तभी कुछ लोगों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। इस हत्या का आरोप जिन पर लगा, आज वो राजद के टिकट पर दानापुर से चुनाव लड़ रहे हैं। वो जिसके खिलाफ लड़ रहे हैं, वो सत्यनारायण सिन्हा की पत्नी आशा देवी हैं, जो यहां से पिछले चार चुनावों से लगातार जीत रही हैं और भाजपा की उम्मीदवार हैं।
अब जब इतनी बात हो चुकी है, तो उनका नाम भी जान लीजिए। उनका नाम है रितलाल राय। रितलाल के लिए बाहुबली शब्द भी बहुत छोटा है। उन्हें यहां डॉन कहकर बुलाया जाता है। रितलाल के ऊपर हत्या, हत्या की कोशिश और रंगदारी जैसे 14 केस चल रहे हैं।
रेलवे ठेकेदार बने, जो भी उनके खिलाफ आया, उसे मार दिया
रितलाल का जन्म पटना के कोथवा गांव में हुआ। पटना के दानापुर इलाके में ईस्ट सेंट्रल रेलवे का डिवीजनल हेडक्वार्टर भी है। कहा जाता है कि दानापुर डिवीजन से जितने भी रेलवे टेंडर निकलते थे, वो रितलाल के पास ही जाते थे। लोग कहते हैं कि जिसने भी उनके खिलाफ जाने की कोशिश की, उसे मार दिया गया।
भाजपा नेता सत्यनारायण की हत्या के बाद रितलाल एक बार फिर तब चर्चा में आए, जब बख्तियारपुर में चलती ट्रेन में दो रेलवे ठेकेदारों की हत्या कर दी गई। इसका आरोप भी रितलाल पर ही लगा। रितलाल का एक विरोधी था चुन्नू सिंह। इसकी हत्या छठ के दिन छठ घाट पर ही कर दी गई थी। इस हत्याकांड के बाद एक बार फिर रितलाल सुर्खियों में आए।

पुलिस नहीं पकड़ सकी, खुद सरेंडर किया
रितलाल को कभी पुलिस नहीं पकड़ सकी। 2010 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रितलाल ने सरेंडर कर दिया। ऐसा इसलिए किया, क्योंकि वो चुनाव लड़ना चाहते थे। उन्होंने जेल से ही दानापुर सीट से निर्दलीय पर्चा भरा। उस समय भी उनके खिलाफ आशा देवी ही थीं। हालांकि, रितलाल हार गए।
जब जेल में ही पुलिस को मारनी पड़ी रेड
सरेंडर करने के बाद और जेल में रहने के बाद भी रितलाल ने रंगदारी मांगना और लोगों को धमकाना नहीं छोड़ा। खबरों की मानें तो जेल में ही रहकर रितलाल ने एक कोचिंग इंस्टीट्यूट के मालिक से 1 करोड़ रुपए की रंगदारी मांगी थी। इतना ही नहीं एक डॉक्टर से भी रितलाल के गुर्गों ने 50 लाख रुपए की रंगदारी मांगी थी।
2015 की बात है। रितलाल जेल में ही थे। उस समय एक व्यक्ति ने एफआईआर दर्ज करवाई कि रितलाल उन्हें रेलवे टेंडर नहीं डालने के लिए धमका रहे हैं और रंगदारी भी मांग रहे हैं। इसके बाद रात 4 बजे सैकड़ों पुलिसवाले बेउर जेल पहुंचे और रेड मारी। इस रेड में रितलाल के वॉर्ड से रेलवे टेंडर से जुड़े कागजात मिले थे। मोबाइल भी मिला था। साथ में एक लोहे की रॉड और दो चाकू भी पुलिस ने जब्त किए थे।

बेटी को जिताने के लिए लालू ने मांगी थी मदद
बात 2014 के लोकसभा चुनाव की है। लालू की बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र सीट से लड़ रही थीं। भाजपा ने उनके खिलाफ लालू के ही पुराने साथी राम कृपाल यादव को उतारा था। देश भर में जिन सीटों की चर्चा थी उनमें ये सीट भी थी। रितलाल भी यहां से लड़ने की तैयारी में थे। लालू नहीं चाहते थे कि रितलाल पाटलिपुत्र सीट से लड़ें। ऐसा इसलिए, क्योंकि रितलाल के लड़ने से मीसा की मुश्किल और बढ़ती।
कहते हैं कि लालू ने रितलाल को भरोसा दिलाया कि अगर वो पाटलिपुत्र से नहीं लड़ते हैं, तो 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें या उनकी पत्नी को राजद की तरफ से टिकट दिया जाएगा। रितलाल ने लालू की बात मान ली। इसका फायदा भी उन्हें मिला और उन्हें राजद का महासचिव भी बना दिया गया।
हालांकि, उसके बाद भी मीसा यहां से जीत नहीं सकीं। अगले साल जब विधानसभा चुनाव आए, तो रितलाल को राजद से टिकट नहीं मिला। बाद में विधान परिषद से निर्दलीय पर्चा भर दिया। 2016 में वो जीत भी गए। जिस समय रितलाल जीते, उस वक्त वो जेल में ही थे।

जमानत पर निकलते ही दर्ज हो गया केस
रितलाल को इसी साल अप्रैल में जमानत पर रिहा किया गया है। वो सितंबर 2010 से जेल में थे। रितलाल जैसे ही जेल से बाहर आए, उन पर एक और केस दर्ज हो गया। हुआ ये कि जेल से निकलने के बाद रितलाल 30-40 गाड़ियों के काफिले के साथ निकल पड़े। उस समय देशभर में लॉकडाउन लगा था। रितलाल पर लॉकडाउन के नियम तोड़ने का केस दर्ज किया गया।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Source From
RACHNA SAROVAR
CLICK HERE TO JOIN TELEGRAM FOR LATEST NEWS
Post a Comment
Click to see the code!
To insert emoticon you must added at least one space before the code.