दुर्योधन और कर्ण की मित्रता की सीख- सच्चा मित्र वही है जो अधर्म करने से रोकता है, गलत कामों में साथ देने से सबकुछ बर्बाद हो सकता है

आज फ्रेंडशिप डे है। मित्रता में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ये ग्रंथों में बताया गया है। ग्रंथों के कुछ ऐसे मित्रों के बारे में जानिए, जिनकी मित्रता से हम सुखी और सफल जीवन के सूत्र सीख सकते हैं...

दुर्योधन और कर्ण

महाभारत में दुर्योधन और कर्ण की मित्रता थी। दुर्योधन ने कर्ण को अपना प्रिय मित्र माना और उचित मान-सम्मान दिलवाया। इसी बात की वजह से कर्ण दुर्योधन को कभी भी अधर्म करने से रोक नहीं सका और उसका साथ देता रहा। जबकि सच्चा मित्र वही है जो अधर्म करने से रोकता है। अगर दोस्ती में ये बात ध्यान नहीं रखी जाती है तो बर्बादी तय है। महाभारत में दुर्योधन की गलतियों की वजह से उसका पूरा कुल नष्ट हो गया। कर्ण धर्म-अधर्म जानता था, लेकिन उसने दुर्योधन को रोकने की कोशिश नहीं।

श्रीराम और सुग्रीव

रामायण में हनुमानजी ने श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता करवाई तो श्रीराम ने वचन दिया था कि वे बाली से सुग्रीव का राज्य और पत्नी वापस दिलवाएंगे। सुग्रीव ने सीता माता की खोज में सहयोग करने का वचन दिया था। बाली को मार श्रीराम ने अपना वचन पूरा कर दिया था। सुग्रीव को राजा बना दिया।

सुग्रीव राज्य और पत्नी वापस मिल गई। इसके बाद वह श्रीराम को दिया अपना वचन ही भूल गया, तब लक्ष्मण ने क्रोध किया। इसके बाद सुग्रीव को अपनी गलती का अहसास हुआ। तब श्रीराम और लक्ष्मण से सुग्रीव में क्षमा मांगी। इसके बाद सीता की खोज शुरू हुई। इनकी मित्रता से ये सीख मिलती है कि हमें मित्रता में कभी भी अपने वचन को नहीं भूलना चाहिए।

श्रीकृष्ण और अर्जुन

महाभारत में इन दोनों की मित्रता सबसे श्रेष्ठ थी। श्रीकृष्ण ने हर कदम अर्जुन की मदद की। अर्जुन ने भी अपने प्रिय मित्र श्रीकृष्ण की हर बात को माना। श्रीकृष्ण की नीति के अनुसार युद्ध किया और पांडवों की जीत हुई। इनकी मित्रता की सीख यह है कि मित्र को सही सलाह देनी चाहिए और मित्र की सलाह पर अमल भी करना चाहिए।

श्रीकृष्ण और द्रौपदी

महाभारत में श्रीकृष्ण और द्रौपदी के बीच मित्रता का रिश्ता था। श्रीकृष्ण द्रौपदी को सखी कहते थे। द्रौपदी के पिता महाराज द्रुपद चाहते थे कि उनकी पुत्री का विवाह श्रीकृष्ण से हो, लेकिन श्रीकृष्ण ने द्रौपदी का विवाह अर्जुन से करवाया। श्रीकृष्ण ने हर मुश्किल परिस्थिति में द्रौपदी की मदद की। जब श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तो चक्र की वजह से उनकी उंगली में चोट लग गई और रक्त बहने लगा। तब द्रौपदी ने अपने वस्त्रों से एक कपड़ा फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांधा था। इसके बाद जब भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण हुआ, तब श्रीकृष्ण ने उंगली पर बांधे उस कपड़े का ऋण उतारा और द्रौपदी की साड़ी लंबी करके उसकी लाज बचाई थी। इसके बाद भी श्रीकृष्ण ने कई बार द्रौपदी को परेशानियों से बचाया।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Duryodhana and Karna's friendship, friendship day on 2nd august, tips about friendship, mahabharata facts, krishna and arjun, shriram and sugreev


Source From
RACHNA SAROVAR
CLICK HERE TO JOIN TELEGRAM FOR LATEST NEWS

Post a Comment

[blogger]

MKRdezign

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget