
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने सुअर के शरीर में ही लिवर विकसित किए हैं। इनका दावा है कि जल्द ही ऐसा इंसानों में भी हो सकेगा और लिवर ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 6 सुअरों के लिम्फ नोड में फुल साइज के लिवर विकसित किए हैं। ट्रायल के दौरान सामने आया कि अगर जानवर में एक अंग किसी बीमारी के कारण खराब होना शुरू होता है तो भी यह स्वस्थ रहता है। इनका शरीर दूसरा अंग तैयार कर सकता है।
लिवर में खुद को विकसित करने की क्षमता
वैज्ञानिकों के मुताबिक, लिवर में खुद को विकसित करने की क्षमता होती है। इसका एक हिस्सा अगर ट्रांसप्लांट किया जाता है तो यह एक पूरे लिवर में विकसित हो सकता है। शरीर में मौजूद लिम्फ नोड में लिवर कोशिकाओं को विकसित किया जा सकता है। कोशिकाएं मिलकर संख्या बढ़ाएंगी और एक पूरा लिवर तैयार करेंगी।
6 सुअर चुने, जिनका लिवर फेल हो चुका था
वैज्ञानिकों ने प्रयोग करने के लिए ऐसे 6 सुअर चुने जिनका लिवर फेल हो चुका था। उनकी ब्लड सप्लाई को डायवर्ट किया। शरीर में मौजूद बीमार लिवर कोशिकाओं का एक हिस्सा लिया। इन्हें हिपैटोसायट्स भी कहते हैं। इन कोशिकाओं को सुअर के लिम्फ नोड में इम्प्लांट किया।
रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक डॉ. एरिक लागेस कहते हैं, अगर हिपैटोसायट्स को सही जगह तक पहुंचाया जाए तो ये नया लिवर विकसित कर सकती हैं। आमतौर पर छोटे-मोटे डैमेज लिवर खुद ही रिपेयर कर लेता है।
नया लिवर सामान्य से अधिक बेहतर था
वैज्ञानिकों के मुताबिक, कुछ समय बाद सुअर में विकसित हुए लिवर की जांच की गई। रिपोर्ट में सामने आया कि नया लिवर पुराने डैमेज हुए लिवर से अधिक बड़ा और ज्यादा विकसित था। सभी सुअर में इसके बढ़ने की दर बेकाबू नहीं हुई।
प्रयोग करने में एक दशक लग गया
ऐसा ही एक प्रयोग चूहों पर भी किया गया था जो सफल रहा है। यह प्रयोग बड़े जानवर पर करने की तैयारी में एक दशक लग गया। रिसर्च रिपोर्ट कहती है, सुअर में लिवर डिफेक्ट होने पर भी लिम्फ नोड में एक नया लिवर विकसित किया जा सकेगा।
लिवर ट्रांसप्लांटेशन जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, इंसानों में लिवर खराब होने के बड़े कारणों में अल्कोहल और हेपेटाइटिस शामिल है।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Source From
RACHNA SAROVAR
CLICK HERE TO JOIN TELEGRAM FOR LATEST NEWS
Post a Comment