1 सितंबर को इसके लिए सुबह 1 और दोपहर में रहेंगे 3 मुहूर्त, मूल स्वरूप में समाहित करने के लिए किया जाता है जल विसर्जन

गणेश चतुर्थी के दस दिन बाद यानी अनंत चतुर्दशी पर श्री गणेश मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस बार ये दिन 1 सितंबर को है। हालांकि, पंचांग भेद के कारण कुछ जगह पर 31 अगस्त को ही ये पर्व मना लिया जाएगा। देश में कुछ जगह लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार 4, 5, 7, 10 या 11वें दिन गणेश विसर्जन करते हैं।

काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र बताते हैं कि विसर्जन से पहले उत्तर पूजा का विधान है। पूजा के बाद विशेष नैवेद्य लगाकर ब्राह्मण भोज भी करवाया जाता है। ग्रंथों में बताया गया है कि उत्सवों के लिए किसी मूर्ति में देवी-देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा की जाए तो उनका विसर्जन करना भी जरूरी है। इसलिए गणेशोत्सव के बाद विसर्जन की परंपरा है।

  • पं. मिश्रा के अनुसार ग्रंथों में गणेश प्रतिमा विसर्जन के लिए मध्याह्न काल श्रेष्ठ बताया गया है। लेकिन, संभव न हो तो सुविधा के अनुसार किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है। ग्रंथों में बताया गया है कि सूर्यास्त से पहले ही प्रतिमा विसर्जन किया जाना चाहिए।

विसर्जन का महत्व: गणेश जल तत्व के अधिपति देवता हैं गणेश
पं. मिश्र का कहना है कि भगवान गणेश जल तत्व के अधिपति देवता हैं। इसलिए उनकी प्रतिमा का विसर्जन जल में किया जाता है। जल पंच तत्वों में से एक है। इसमें घुलकर प्राण प्रतिष्ठित गणेश मूर्ति पंच तत्वों में सामहित होकर अपने मूल स्वरूप में मिल जाती है। जल में विसर्जन होने से भगवान गणेश का साकार रूप निराकार हो जाता है। जल में मूर्ति विसर्जन से यह माना जाता है कि जल में घुलकर परमात्मा अपने मूल स्वरूप से मिल गए। यह परमात्मा के एकाकार होने का प्रतीक भी है।

  • मिट्टी की गणेश प्रतिमा को घर में किसी साफ बर्तन में विसर्जन करना चाहिए। नदियों में मूर्ति विसर्जन करने से बचना चाहिए। क्योंकि, ब्रह्मपुराण और महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि नदियों को गंदा करने से दोष लगता है।

मिट्टी के गणेश, घर में ही विसर्जन
दैनिक भास्कर समूह कई वर्षों से "मिट्टी के गणेश-घर में ही विसर्जन" अभियान चला रहा है। इसका मूल उद्देश्य यही है कि हम अपने तालाब और नदियों को प्रदूषित होने से बचा सकें। इसलिए आप घर या कॉलोनी में कुंड बनाकर विसर्जन करें और उस पवित्र मिट्टी में एक पौधा लगा दें। इससे न सिर्फ ईश्वर का आशीर्वाद बना रहेगा, बल्कि उनकी याद भी घर-आंगन में महकती रहेगी। यह पौधा बड़ा होकर पर्यावरण में योगदान देगा। साथ ही घर में नई समृद्ध परंपरा का संचार होगा।

उत्तर पूजा विधि और मंत्र
सुबह जल्दी उठकर नहाएं और मिट्टी से बने गणेशजी की पूजा का करें। चंदन, अक्षत, मोली, अबीर, गुलाल, सिंदूर, इत्र, जनेऊ चढ़ाएं। इसके बाद गणेशजी को 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। 21 लड्डुओं का भोग लगाएं फिर कर्पूर से भगवान श्रीगणेश की आरती करें। इसके प्रसाद अन्य भक्तों को बांट दें।

विसर्जन स्थान पर मौजूद परिवार के सदस्य और अन्य लोग हाथ में फूल और अक्षत लें। फिर विसर्जन मन्त्र बोलकर गणेश जी को चढ़ाएं और प्रणाम करें।

इन बातों का रखें ध्यान

विसर्जन से पहले उत्तर पूजा की जाती है और गणेशजी का विशेष श्रृंगार किया जाता है। जो भगवान गणपति के साथ ही पानी में विसर्जित किया जाता है।


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Ganesh Visarjan on 1 September; Ganesh Visarjan And Puja Muhurta in the Morning and Afternoon


Source From
RACHNA SAROVAR
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