उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर है। गंगा किनारे बसा यह मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि काशी भगवान शिव के त्रिशुल पर टिकी हुई है। आज से सावन का महीना शुरू हो रहा है। कोरोना के चलते इस बार दर्शन के तौर तरीके बदल गए हैं।दैनिक भास्कर की टीम काशी विश्वनाथ पहुंची और वहां की तैयारियों का जायजा लिया। पढ़िए काशी विश्वनाथ से लाइवरिपोर्ट...
भगवान शिव की नगरी काशी में इस बार सावन की रंगत फीकी है। घाटों से लेकर गलियों तक में सन्नाटा पसरा है। कोरोनाकी वजह सेभक्तऔर भगवान के बीच सोशल डिस्टेंस आ गया है। गर्भगृह तक जाने की अनुमति किसी श्रद्धालु को नहीं मिलेगी। इस बार सीधे जलाभिषेक भी नहीं हो सकेगा। संक्रमण से बचने के लिए मंदिर को हर 6 घंटे के अंतराल परसैनिटाइज किया जा रहा है।
पहली बार यादव समाज के 5 लोग ही जलाभिषेक कर पाएंगे
पहले शहर में जगह-जगह कांवड़ियों के लिए कैंप लगते थे।देशभर से आने वाले कांवड़ियों केरंग में काशी केसरियाहो जाती थी। लेकिन, इस बार यह रंग गायब रहेगा। पहली बार यादव समाज के सिर्फ पांच लोग ही जलाभिषेक के लिए जा सकेंगे। जबकि परंपरा के मुताबिक, हर साल सावन के पहले सोमवार को हजारों की संख्या में वे सीधे गर्भगृह में जाकर जलाभिषेक करते थे। पिछले सालएक लाख से ज्यादालोगों ने पौने तीन घंटे तक जलाभिषेक किया था।
पहले सावन के महीने में जहां सैकड़ों की भीड़ होती थीं, वहां इस बारसिर्फ पांच श्रद्धालुही रहेंगे। गौदोलिया से मंदिर तक के रास्ते में सुरक्षाकर्मी ज्यादाऔर श्रद्धालु कम दिखाई देते हैं। चार नंबर गेट पर सुरक्षाकर्मियों ने भारी संख्या में डेरा डाला हुआ है।
स्पीड पोस्टसे भेजा जाएगा प्रसाद
इस बार ऑनलाइन रुद्राभिषेक होगा और डाक विभाग से स्पीड पोस्ट के जरिए श्रद्धालुओं को प्रसाद भेजा जाएगा। यह प्रसाद 251 रुपए में मिल सकेगा। मंदिर में रुद्राभिषेक और आरती के शुल्क में 30 फीसदी तक वृद्धि की जा सकती है। कोरोना की वजह से नागपंचमी के दिन काशी के नागकूप पर भी विद्वानों का जमावड़ा शास्त्रार्थ के लिए नहीं होगा।
सावन माह के दौरान काशी में शिव और राम कथा कहने वाले कई कथावाचक इस बार काशीनहीं आसकेंगे। शिवमहापुराण की कथा कहने वाले बालव्यास श्रीकांत शर्मा कहते हैं कि करीब तीन दशक से सावन के आखिरी के दस दिन काशी में व्यतीत करता रहा हूं, लेकिन इस बार कथा नहीं कह पाऊंगा।
मंदिर परिसर में एक समय में पांच लोग ही रह सकेंगे
जिलों की सीमाओं पर पुलिस तैनात की गई है, अगर कोई श्रद्धालु बाहर से बाबा के दर्शन के लिए आता है तो उसे वापस लौटा दिया जाएगा। इसकारण मंदिर केआसपास पूजा, फूल, दूध, श्रृंगार की अतिरिक्त दुकानें भी नहीं लग पाएंगी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पूजारीश्रीकांत मिश्रा कहते हैं कि पहले सुबह से शाम तक अनुष्ठान-पूजन चलता था। लेकिन, इस बार मंदिर परिसर में एक समय में पांच लोग ही रह सकेंगे। ऐसे में रुद्राभिषेक, अनुष्ठान-पूजन संभव ही नहीं होगा।
पहले दो लाख से ज्यादा लोग करते थे दर्शन, इस बार 25 हजार का लक्ष्य
पहले मंदिर परिसर में शास्त्रीइस काम को करते थे। मंदिर में दर्शन के लिए पांच किमी से ज्यादा लंबी लाइन लगती थी। सावन के सोमवार को दो लाख से ज्यादा लोग दर्शन करते थे। लेकिन, इस बारप्रशासन का लक्ष्य 25 हजार लोगों को दर्शन कराने का है। मंदिर कार्यपालक समिति के अध्यक्ष और कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि कोरोना के कारण कुछ सावधानियां बरती जा रही हैं। जलाभिषेक तो होगा लेकिन दूर से ही होगा, गर्भगृह में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं होगी।
मंदिर परिसर में जाने के लिए 3 जोन बनाए गए
गर्भगृह के चारों दरवाजों पर बाहर से ही अर्घ की व्यवस्था की गई है। श्रद्धालु वहीं से बाबा का जलाभिषेक कर सकेंगे और जल सीधे बाबा तक पहुंचेगा। मंदिर परिसर में जाने के लिए तीन जोन बनाए गए हैं। पहला जोन मंदिर के अंदर होगा, जहां केवल 5 श्रद्धालु प्रवेश कर सकेंगे।
गोपसेवा समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष विनय यादव कहते हैं कि हर साल कम से कम एक लाख यादव बंधु सावन के पहले सोमवार को देशभर से आकर गर्भगृह में जलाभिषेक करते थे। जिनमें 10 से 12 हजार लोग तो काशी केबाहर से आते थे। लेकिन, यह पहली बार है कि जब सिर्फ 5 लोग ही जलाभिषेक करेंगे।हम बाबा विश्वनाथ से कोरोना मुक्त भारत की प्रार्थना करेंगे। यही प्रार्थना काशी का हर व्यक्ति देश के लिए करेगा।
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