कुवैत की नेशनल एसेम्बली और लेजिस्लेटिव कमेटीने अप्रवासी कोटा बिल के मसौदे को मंजूरी दे दी है। गल्फ न्यूज के मुताबिक, कमेटी ने इस बिल को संवैधानिक करार दिया। अब इसे एसेम्बली की दूसरी समितियों के पास भेजा जाएगा। बिल के पारित होने के बाद करीब 8 लाख भारतीय को कुवैत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।इसमें कहा गया है कि कुवैत में भारतीयों की संख्या देश की आबादी से 15% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसके लिए एक व्यापक योजना तैयार करने की बात भी कही गई है।
महामारी शुरू होने के बाद से ही कुवैत में दूसरे देशों के लोगों के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। यहां के सरकारी अधिकारी और सांसद लगातार कुवैत से विदेशियों की संख्या कम करने की मांग कर रहे हैं। पिछले महीने कुवैत के प्रधानमंत्री शेख शबा-अल खालिद अल-शबा ने देश में प्रवासियों की संख्या 70% से घटाकर 30% करने का प्रस्ताव रखा था।
सरकारी विभागों से खत्म होगी प्रवासियों की नौकरी
देश के सांसदों से कहा गया है कि एक साल के अंदर सभी सरकारी विभागों से प्रवासियों की नौकरियां खत्म करें। इसी साल मई में सरकार ने नगरपालिका की सभी नौकरियों में प्रवासियों की जगह कुवैत के नागरिकों को नियुक्त करने को कहा था। जून में सरकारी तेल कंपनी कुवैत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन(केपीसी) और इसकी इकाइयों में 2020-21 के लिए सभी प्रवासियों को बैन करने का ऐलान किया गया था। फिलहाल यहां दूसरे देशों के लोगों को नौकरियां देने पर भी रोक है।
कुवैत में भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा
कुवैत में भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा है। कुवैत में करीब 10.45 लाख भारतीय रहते हैं। इसकी कुल आबादी 40.3 लाख है। इनमें दूसरे देशों से आए लोगों की संख्या करीब 30 लाख है। कुवैत के नागरिकों और दूसरे देशों से पहुंचे लोगों की संख्या के बीच भारी अंतर है। इसे देखते हुए पिछले साल सांसद सफ-अल हाशम ने सरकार से अगले पांच साल में करीब 20 लाख प्रवासियों को देश से बाहर भेजने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि देश में कुवैतियों की संख्या कुल आबादी की करीब 50 फीसदी होनी चाहिए।
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