
20 जुलाई को हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के अनुसार इस बार इस पर्व पर हर्षण योग, पुनर्वसु नक्षत्र, श्रावण सोमवार और अमावस्या का विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन हरियाली और सोमवती अमावस्या पर्व एक साथ मनाए जाएंगे। इसलिए ये पर्व और भी खास हो गया है। हरियाली अमावस्या पर 5 ग्रह अपनी-अपनी राशियों में रहेंगे। 5 ग्रहों के स्वगृही होने से इस दिन किया गया स्नान और दान और भी पुण्य फलदायी रहेगा। इस पर्व पर किए गए श्राद्ध और तर्पण से पितर तृप्त होते हैं। भगवान शिव-पार्वती की पूजा भी इस दिन की जाती है। हरियाली अमावस्या पर खेती में काम आने वाले औजार हल, हंसिया आदि की पूजा करने की परंपरा है। खेतों में खड़ी फसल अच्छी रहे, इसी कामना के साथ किसान ये पर्व मनाते हैं। यह पर्व किसानों की समृद्धि और पर्यावरण की सुरक्षा का संदेश देने के लिए मनाया जाता है।
- नारद पुराण के अनुसार श्रावण मास की अमावस्या को पितृ श्राद्ध, दान, देव पूजा एवं पौधारोपण आदि शुभ काम करने से अक्षय फल प्राप्ति होती है। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष, शनि की दशा और पितृ दोष है। उन्हें शिवलिंग पर पंचामृत अवश्य चढ़ाना चाहिए।
20 साल बाद सोमवती अमावस्या का संयोग
पं. मिश्र का कहना है कि 20 साल बाद सावन सोमवार को हरियाली अमावस्या का संयोग बन रहा है। इससे पहले 31 जुलाई 2000 में सोमवती और हरियाली अमावस्या एक साथ थी। इसके बाद 2004 में सावन महीने में अधिक मास के दौरान सावन सोमवार को अमावस्या पर्व मनाया गया था। उस साल दो बार सावन महीना पड़ा था। दूसरे सावन महीने में सोमवती अमावस्या का संयोग बना था। पं. गणेश मिश्र ने बताया कि इस साल हरियाली अमावस्या के दिन चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह अपनी-अपनी राशियों में रहेंगे। ग्रहों की इस स्थिति का शुभ प्रभाव कई राशियों पर देखने को मिलेगा।
16 साल बाद सोमवती अमावस्या का संयोग
पं. मिश्र बताते हैं कि सावन सोमवार को अमावस्या का संयोग 16 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 2004 में सावन महीने में पुरुषोत्तम मास यानी अधिक मास के रूप में मनाया गया था। उस साल दो बार सावन महीना पड़ा था। दूसरे सावन महीने में सोमवती अमावस्या का संयोग बना था। इसके पहले सन 2000 में भी सोमवती अमावस्या थी।
हरियाली अमावस्या पर करना चाहिए पौधारोपण
सावन हरियाली और उत्साह का महीना माना जाता है। इसलिए इस महीने की अमावस्या पर प्रकृति के करीब आने के लिए पौधारोपण किया जाता है। इस दिन पौधारोपण से ग्रह दोष शांत होते हैं। अमावस्या तिथि का संबंध पितरों से भी माना जाता है। पितरों में प्रधान अर्यमा को माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि वह स्वयं पितरों में प्रधान अर्यमा हैं। हरियाली अमावस्या के दिन पौधारोपण से पितर भी तृप्त होते हैं, यानी इस दिन पौधे लगाने से प्रकृति और पुरुष दोनों ही संतुष्ट होकर मनुष्य को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इसलिए इस दिन एक पौधा लगाना शुभ माना जाता है।
अमावस्या पर शिव-पार्वती पूजा का महत्व
सावन माह शिवजी को विशेष प्रिय है। लेकिन इस महीने कई तीज-त्योहार आते हैं। इसलिए भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की पूजा का भी बहुत महत्व है। अमावस्या पर भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य और समृद्धि मिलती है। इसके साथ ही हर तरह के रोग भी खत्म हो जाते हैं। अमावस्या पर पूजा में ऊँ उमामहेश्वराय नम: मंत्र का जाप करें। देवी पार्वती को सुहाग का सामान चढ़ाएं और शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाएं।
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