प्राइवेट बैंक में 15 लाख का पैकेज छोड़कर ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू की, आज 12 एकड़ पर खेती कर रहे हैं, हर एकड़ से डेढ़ लाख कमाई

पुणे से एमबीए की पढ़ाई करने के बाद भोपाल के रहनेवाले प्रतीक को एक प्राइवेट बैंक में प्रोडक्ट मैनेजर की नौकरी मिली थी। एनुअल पैकेज 15.5 लाख था। लेकिन उन्होंने चार साल पहले नौकरी छोड़ ऑर्गेनिक फार्मिंग करने का फैसला किया। आज प्रतीक 12 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं, इसमें 5.5 एकड़ जमीन पर ऑर्गेनिक फार्मिंग करते हैं।

हर एकड़ से उन्हें हर साल 1.5 लाख रुपए मुनाफा हो रहा है। यही नहीं प्रतीक ने ऑर्गेनिक फार्मिंग का एक प्लेटफॉर्म बनाकर उससे छोटे-बड़े 125 किसानों को भी जोड़ा है। इसके जरिए वह 2 हजार कस्टमर्स तक सीधे पहुंचते हैं और ऑर्गेनिक सब्जियाें की होम डिलीवरी भी कर रहे हैं। उन्होंने अगले दाे सालों में ऑर्गेनिक फॉर्मिंग से 4 लाख रुपए प्रति एकड़ मुनाफे का टारगेट रखा है।

मुम्बई में एक प्राइवेट बैंक में थे प्रोडक्ट मैनेजर

प्रतीक बताते हैं कि शुरुआती पढ़ाई के बाद पुणे से एमबीए किया और साल 2006 में एक प्राइवेट बैंक में नौकरी लगी। काम बेहतर किया तो एक दिन मुम्बई हेड ऑफिस से कॉल आया और प्रमोट कर मुझे प्रोडक्ट मैनेजर बना दिया गया। एनुअल पैकेज करीब 15.5 लाख के आसपास था।

सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन बड़े शहर में रहकर इतना पैसा कमाने के बाद भी मुझे को छटपटाहट सी महसूस हो रही थी। 6- 7 साल नौकरी करने के बाद लगा कि अब मन भर गया है। फिर चंडीगढ़ ट्रांसफर ले लिया लेकिन वहां भी मन नहीं लगा। किसान परिवार से था, इसलिए सोचा कि क्यों न खेती को अजमाया जाए।

प्रतीक अभी12 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं, इसमें 5.5 एकड़ जमीन पर ऑर्गेनिक फार्मिंग करते हैं। हर एकड़ से उन्हें साल में 1.5 लाख रुपए का मुनाफा होता है।

2015 में नौकरी के साथ-साथ पॉली हाउस फाॅर्मिंग में 50 लाख का इंवेस्टमेंट किया लेकिन इससे 5 लाख रुपए भी रिकवर नहीं हो पाए

प्रतीक ने बताया कि साल 2015 में नौकरी के साथ-साथ खेती की शुरुआत की, गांव में पैत‌ृक जमीन पर एक एकड़ में पॉली हाउस बनाया। 45 से 50 लाख रुपए खर्च किया। लेकिन साल भर बाद ही समझ में आ गया कि खेती में महंगी तकनीकें बेची तो जाती हैं, लेकिन किसान द्वारा खरीदी नहीं जाती है। इसका मतलब यह है कि हमें इसकी जरूरत नहीं है।

मेरा पॉली हाउस दिसम्बर 2015 में तैयार हुआ और अप्रैल 2016 में मुझे यह एहसास हो गया कि बहुत बड़ी गलती हो गई। तब समझ में आया कि हम केमिकल फार्मिंग नहीं कर सकते। क्योंकि इसमें लागत ज्यादा है और बाजार में कीमतें बिल्कुल नहीं मिल रही हैं। 50 लाख की लागत वाले पॉली हाउस में जब मैंने पहली बार टमाटर उगाया तो उसकी कॉस्ट मुझे 6 रुपए प्रति किलो पड़ी, लेकिन बाजार में मुझे उसकी कीमत महज डेढ़ रुपए प्रति किलो ही मिली।

खेती के बिजनेस में जब मात मिली तो अपनी मार्केटिंग स्किल का इस्तेमाल किया

इसके बाद मैंने खेती के बिजनेस में अपने प्रोडक्ट मैनेजर वाले मार्केटिंग स्किल का इस्तेमाल किया। क्योंकि मैं हमेशा सुनता था कि किसान को मार्केटिंग नहीं आती और मार्केटिंग वालों को खेती नहीं आती। तब समझ में आया कि हमें ऑर्गेनिक फार्मिंग करनी चाहिए, इससे हम स्वास्थ्य की तरफ तो आगे बढ़ेंगे ही, प्रोडक्शन कॉस्ट भी कम कर सकते हैं। क्योंकि इसमें खाद वगैरह तो हम खुद ही तैयार कर सकते हैं और इसके उत्पादों की बाजार में कीमत भी हम खुद तय कर सकते हैं।

हम जैविक उत्पाद सीधा उपभोक्ताओं तक लेकर जा सकते हैं इससे बिचौलिओं का कमीशन खत्म होगा और किसान को ज्यादा मुनाफा मिल सकेगा। इसके बाद मैंने साल 2016 में नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से ऑर्गेनिक फार्मिंग में उतर गया। मेरे घर और ससुराल वालों की ओर से प्रेशर आया कि नौकरी क्यों छोड़ रहे हो, लेकिन वो यह नहीं जानते थे कि हम किस सोच से खेती में आ रहे हैं।

प्रतीक नेअगले दाे सालों में ऑर्गेनिक फार्मिंग से 4 लाख रुपए प्रति एकड़ मुनाफे का टारगेट तय किया है।

हमारे लिए अवसर बनकर आया काेराेना

प्रतीक बताते हैं कि इस बीच कुछ तकलीफें भी आईं लेकिन उसके समाधान भी मिलते रहे। हमारे बिजनेस का सबसे अच्छा दौर इस कोरोना महामारी में आया। क्योंकि मौजूदा व्यवस्था में लोगों को पता ही नहीं है कि जो सब्जी वे खा रहे हैं उस पर कल शाम को कौन सा केमिकल छिड़का गया था। जैविक उत्पादों की कोरोना काल में हमने होम डिलीवरी की, इस महामारी के दौर में हमारे पास इतनी डिमांड आई की हम सप्लाई तक नहीं कर पा रहे थे।

अगर आपको भी ऑर्गेनिक फार्मिंग के फील्ड में आना है तो इन बातों का ध्यान रखें
1- अगर आप जॉब में हैं और ऑर्गेनिक फार्मिंग में उतरना चाहते हैं तो सबसे पहले आप जॉब में रहते हुए करीब 6 महीने तक मार्केट रिसर्च कीजिए। ऑर्गेनिक फार्मिंग में उत्पादों की बहुत सारी वैराइटी हैं। आपको फलों का उत्पादन करना है या सब्जी का। क्योंकि पालक आपको एक महीने में रिजल्ट देगा और केले का पेड़ आपको 10 महीने में रिजल्ट देगा, जबकि आम 4 से 5 साल का वक्त लेगा। इसलिए पहले तय कीजिए कि आपको किस चीज का उत्पादन करना है।

2- इसके बाद दूसरा स्टेप आता है कि आप इन उत्पादों की मार्केटिंग कैसे करेंगे? क्या आप किसानों का एक संगठन बनाना चाहते हैं या खुद की एक कंपनी बनाना चाहते हैंं। या फिर आप उत्पादन नहीं सिर्फ ट्रेडिंग और प्रोसेसिंग करना चाहते हैं। यह तय कीजिए और जॉब में रहते हुए धीरे-धीरे ये सभी तैयारियां पूरी कर लीजिए।

3- इस बीच एक सवाल यह भी आता है कि क्या नौकरी और ऑर्गेनिक फार्मिंग से जुड़ा स्टार्टअप एक साथ किया जा सकता है तो जवाब है- नहीं, क्योंकि ऑर्गेनिक फार्मिंग में आपको रोजाना आना पड़ सकता है। यहां एक पेस्ट्रीसाइट छिड़ककर 15 दिनों की छुट्‌टी नहीं मिल सकती है। आपको अपनी जमीन से जुड़ना पड़ेगा।

4- जरूरी नहीं कि हर कोई मेरी तरह किसान परिवार से हो और उसके पास 5-10 एकड़ खेत हो? अगर आप किसान परिवार से नहीं हैं या आपके पास जमीन नहीं हैं तो आप कुछ किसानों को प्रेरित कर उन्हें ऑर्गेनिक फार्मिंग की ओर आगे बढ़ा सकते हैं। आप उन्हें यह भरोसा दिलाएं कि आप उनका उत्पाद बाजार में अच्छी कीमत पर बेचेंगे, ऐसी स्थिति में आपको एक मार्केटिंग कंपनी तैयार करें जो इन उत्पादों को बेचने का काम करें।

5- अगर आप ऑर्गेनिक फार्मिंग के उत्पादन में ही जाना चाहते हैं तो आप किसी भी गांव में या शहरों के आउटर में लॉन्ग टर्म 5 से 10 साल की लीज पर ले सकते हैं या पार्टनरशिप कर सकते हैं। इस तरह भी आप ऑर्गेनिक फार्मिंग की शुरुआत कर सकते हैं।

6.इस फील्ड में उतरने से पहले बेसिक होमवर्क जरूर करके आएं। इस बिजनेस को एक-दो साल का वक्त दें और इस अवधि में आपके ऊपर अर्निंग का प्रेशर ना हो। इस अवधि के लिए आपके पास फाइनेंशियल बैकअप होना चाहिए।

7- स्टार्टअप हर किसी के बस की बात नहीं है, क्योंकि इसका मतलब है एक व्यक्ति के अंदर सभी क्षमताएं होना। मैन मैनेजमेंट, फाइनेंस, बिजनेस, सेल्स और प्रोसेस डिवाइडेशन स्किल होना चाहिए। अगर आपके पास यह सभी स्किल नहीं हैं तो दो-तीन लोग मिलकर स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं। इसके लिए आप किसानों से मिलें, इसके बिजनेस से जुड़े लोगों से मिलें, इसकी पढ़ाई करें और रिसर्च पर फोकस रखें तो आपके यह फीलड और भी आसान होगा।

प्रतीक बताते हैं कि अगर आप ऑर्गेनिक फार्मिंग करना चाहते हैं तो उसके लिए पहले मार्केट रिसर्च जरूरी है।

क्या अच्छी खासी नौकरी छोड़कर ऑर्गेनिक फॉर्मिंग में आएं ताे इस बात की गारंटी है कि अच्छा मुनाफा मिलेगा?

प्रतीक बताते हैं कि अगर आप इस सोच के साथ आएंगे कि नौकरी से ज्यादा यहां कमाई होगी तो आप गलती कर रहे हैं। क्योंकि शुरुआती 2-3 साल उतनी कमाई नहीं होने वाली। ऑर्गेनिक फार्मिंग में जैविक सोच होना बहुत जरूरी है। अगर आप प्रॉफिट के मूड से आएंगे तो आप चाहेंगे कि ज्यादा से ज्यादा उत्पादन हो। क्योंकि आपको पहले जमीन के स्वास्थ्य के बारे में सोचना होगा। क्योंकि जमीन को रासायनिक से जैविक में तब्दील होने में एक से डेढ़ साल का वक्त लगता है।

क्या साल भर में मुनाफा आपकी सैलरी से भी ज्यादा हो सकता है

प्रतीक कहते हैं इसका जवाब है-हां, क्योंकि अभी मैं अपने खेतों में सब्जियां उगाकर प्रति एकड़ डेढ़ लाख रुपए सालाना बचत कर पा रहा हूं। आगे की संभावनाएं भी है, मेढ़ पर आप फलों के वृक्ष लगा सकते हैं। मिक्स क्रॉपिंग या लेयर फॉर्मिंग के जरिए आप अगले तीन से चार सालों में प्रति एकड़ 4 लाख रुपए तक मुनाफा कमा सकते हैं। हां, बस इसके लिए आपको थोड़ा पेशेंस रखना होगा।

प्रतीक बताते हैं कोरोनाकाल में उन्हें फायदा हुआ। वे कहते हैं कि तब हमारे पास इतनी डिमांड आई की हम सप्लाई तक नहीं कर पा रहे थे।

मैं पूरी तैयारी और ऑर्गेनिक सोच के साथ इस फील्ड में आया था
प्रतीक कहते हैं कि मैं तो पूरी तैयारी के साथ इस फील्ड में आया था। जब आप ऑर्गेनिक सोच के साथ आते हैं तो आपके खर्चे अपने-आप ही कम हो जाते हैं। पहले मैं साल में दो बार शॉपिंग करता था अब चार साल में एक बार शॉपिंग करता हूं, क्याेंकि अब मेरी जरूरतें खुद ब खुद कम हो गई हैं।

मुझे साल 2016 में लिए निर्णय पर कभी मलाल नहीं होता बल्कि पहले से ज्यादा मानसिक शांति मिलती है। अब मैं अपने परिवार से साथ ज्यादा वक्त बिता पाता हूं। अब मेरे पास हफ्ते में 8 से 10 ऐसे कॉल आते हैं कि जिनमें नौकरीपेशा लाेगकहते हैं कि उन्हें भी ऑर्गेनिक फॉर्मिंग करनी है, मैं इसे एक अच्छा ट्रेंड मानता हूं क्योंकि गांवों में रिवर्स माइग्रेशन बहुत जरूरी है।

आज तक रिकवर नहीं हो पाई पॉलीहाउस की लागत, 34 लाख का लोन तो अपने पीएफ, ग्रेच्युटी के पैसों से भरा

प्रतीक बताते हैं कि खेती के शुरुआती दौर में मैंने पॉली हाउस में जो लागत लगाई थी वो आज तक रिकवर नहीं हो पाई है। पॉली हाउस की यूटिलिटी बस दो महीने के लिए होती है। साथ ही इसके उत्पादों का बाजार में अच्छा रेट भी नहीं मिलता। प्रतीक कहते हैं कि, इससे मुझे यह सबक मिला कि इसमें गलती खेती की नहीं बल्कि पॉलीहाउस की है।

प्रतीक बताते हैं कि मैंने पॉली हाउस का 47 लाख रुपए के लोन में से 34 लाख रुपए अपने पीएफ, ग्रेच्युटी के पैसों से भरा। अगर यही पैसा अगर अपने स्टार्टअप में यूज करता तो शायद जो हम आज अचीव कर रहे हैं वो एक साल पहले ही कर लेते।



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भोपाल के रहने वाले प्रतीक शर्मा बैंक की नौकरी छोड़कर 2016 में गांव लौट आए और अब ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं।


Source From DAINIK BHASKAR
via RACHNA SAROVAR
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